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कालीपार्श्वस्थितो देवः सर्वदा पातु मे मुखे ॥ २३॥ प्रवक्ष्यामि समासेन चतुर्वर्गप्रसिद्धये ॥ ६॥ तस्मात् सर्वप्रयत्नेन दुर्लभं पापचेतसाम् दिग्वस्त्रं पिङ्गकेशं डमरुमथ सृणिं खड्गशूलाभयानि जो इस भैरव चालीसा का श्रद्धाभाव से सौ बार पाठ करता है, उसके घर में आनन्द तथा धन की वृद्धि होती है ॥ किसी भी प्रकार का https://www.youtube.com/watch?v=lqYJ072UzdE

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